जिला सिरमौर के विकास खंड पांवटा साहिब की ग्राम पंचायत पुरुवाला के कांशीपुर गांव की दस महिलाएं स्वयं सहायता समूह बनाकर आर्थिक व सामाजिक तौर पर सशक्त हो रही हैं। यह महिलाएं न केवल अपनी मेहनत व लगन से अपनी सफलता की कहानी स्वयं लिख रही हैं बल्कि हमारे समाज की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बनकर खडी हुई हैं। इन महिलाओं द्वारा पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ कुछ हटकर करने की चाहत ने ही इन्हे आज अन्य महिलाओं के मुकाबले एक अलग पहचान मिल रही है।
जुलाई, 2012 में समूह की ही कुछ महिलाओं के अथक प्रयास के चलते स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के अन्र्तगत खंड विकास कार्यालय पांवटा साहिब के सहयोग से श्री साईं स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया। इस समूह ने सबसे पहले यूको बैंक की शाखा बद्रीपुर पांवटा साहिब में खाता खोला तथा प्रतिमाह 100 रुपये प्रति सदस्य बचत की शुरुआत की। आज यह महिलाएं काफी धनराशि बतौर बचत इक्टठा कर चुकी हैं। लेकिन इनके इस प्रयास को एक नई मंजिल तब मिली जब यूको-आरसेटी ने डीआरडीए जिला सिरमौर के सौजन्य से इन्हे मार्च 2013 में मिठाई के डिब्बे बनाने के लिए पांच दिन का प्रशिक्षण मिला। इसके बाद विभाग ने इन्हे अपना स्वयं का काम शुरु करने के लिए दस हजार रुपये की आर्थिक सहायता राशि मुहैया करवाई। आज इन महिलाओं ने मात्र 6-7 महीनों की मेहनत से ही जहां लगभग 30 हजार मिठाई के डिब्बे बनाकर लगभग 30-35 हजार रुपये का मुनाफा कमा लिया है तो वहीं अपनी मेहनत से समाज में अपनी एक अलग पहचान भी बना रही हैं।
बडे ही आत्मविश्वास से लबरेज इस समूह की प्रधान श्रीमति शीला देवी से बातचीत की तो उनका कहना है कि समूह की सभी सदस्य प्रतिदिन दो से पांच बजे तक मिठाई के डिब्बे बनाने का कार्य करती हैं। जबकि विशेष त्योहारों जैसे रक्षा बंधन, दशहरा, ईद, दिवाली इत्यादि के मौके पर दुकानदारों की अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय लगाकर इस कार्य को पूरा करती हैं। साथ ही जानकारी दी कि अकेले रक्षा बंधन के पर्व के दौरान ही उन्होने दस हजार से ज्यादा डिब्बे बनाए हैं। समूह की सचिव श्रीमति ममता देवी का कहना है कि समूह की सभी सदस्य अपने घर के रोजमर्रा के कामकाज, खेतीवाडी, पशुपालन इत्यादि के कार्य निपटाने के बाद ही जो खाली समय बचता है उसी में ही वह यह डिब्बे बनाने का कार्य करती हैं। उनका यह भी कहना है कि यह कार्य करते हुए न केवल आत्मनिर्भरता व स्वावलंबन का एहसास हो रहा है बल्कि इस मंहगाई के दौर में परिवार की आर्थिकी हो मजबूत बनाने में भी सफल हो पा रही हैं।
इसी संबंध में इनका कहना है कि समूह की सभी सदस्य मिठाई के डिब्बे बनाने के लिए कच्चामाल बाजार से खरीदने से लेकर तैयार माल की सप्लाई तक के कार्य वह स्वयं ही करती हैं। साथ ही इनका कहना है कि यदि सरकार उनके इस तैयार माल के लिए मॉर्केटिंग की कुछ व्यवस्था कर दे तो वह इससे भी बेहतर कार्य कर सकती हैं। साथ उनकी सरकार से मांग है कि यदि उन्हे सरकार डिब्बे तैयार करने के लिए मशीन खरीदने के लिए कम ब्याजदर पर ऋण मुहैया करवाए तो उनका समूह जहां अच्छी गुणवता वाले मिठाई के डिब्बे तैयार कर पाएगा तो वहीं बाजार में भी उनके तैयार माल की डिमांड बढऩे के साथ-साथ आमदन में भी बढौतरी होगी।
क्या कहते हैं अधिकारी:
इस संबंध में खंड विकास अधिकारी पांवटा साहिब श्री सतपाल सिंह राणा का कहना है कि पांवटा विकास खंड में वर्ष 2012-13 के दौरान स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत कुल 138 एेसे महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है। जिसमें से 20 समूहों को बैंकों से जोडकर लगभग 72 लाख रुपये का ऋण विभिन्न गतिविधियों को चलाने के लिए मुहैया करवाया गया है। जबकि 10 समूहों को अपनी छोटी मोटी गतिविधियों को चलाने के लिए दस-दस हजार रुपये का रिवोलविंग फंड भी मुहैया करवाया है। साथ ही जानकारी दी कि स्वयं सहायता समूहों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर भी लगाए जाते हैं जिसके माध्यम से समूूहों को बचत करना, कैश बुक मैंटेन करना, इंटरलोनिंग इत्यादि की जानकारी दी जाती है। साथ ही गरीब परिवारों से संबंध रखने वाली महिलाआें व युवतियों को यूको आरसेटी के माध्यम से भी स्वरोजगार से जुडे विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है।
बडे ही आत्मविश्वास से लबरेज इस समूह की प्रधान श्रीमति शीला देवी से बातचीत की तो उनका कहना है कि समूह की सभी सदस्य प्रतिदिन दो से पांच बजे तक मिठाई के डिब्बे बनाने का कार्य करती हैं। जबकि विशेष त्योहारों जैसे रक्षा बंधन, दशहरा, ईद, दिवाली इत्यादि के मौके पर दुकानदारों की अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय लगाकर इस कार्य को पूरा करती हैं। साथ ही जानकारी दी कि अकेले रक्षा बंधन के पर्व के दौरान ही उन्होने दस हजार से ज्यादा डिब्बे बनाए हैं। समूह की सचिव श्रीमति ममता देवी का कहना है कि समूह की सभी सदस्य अपने घर के रोजमर्रा के कामकाज, खेतीवाडी, पशुपालन इत्यादि के कार्य निपटाने के बाद ही जो खाली समय बचता है उसी में ही वह यह डिब्बे बनाने का कार्य करती हैं। उनका यह भी कहना है कि यह कार्य करते हुए न केवल आत्मनिर्भरता व स्वावलंबन का एहसास हो रहा है बल्कि इस मंहगाई के दौर में परिवार की आर्थिकी हो मजबूत बनाने में भी सफल हो पा रही हैं।
इसी संबंध में इनका कहना है कि समूह की सभी सदस्य मिठाई के डिब्बे बनाने के लिए कच्चामाल बाजार से खरीदने से लेकर तैयार माल की सप्लाई तक के कार्य वह स्वयं ही करती हैं। साथ ही इनका कहना है कि यदि सरकार उनके इस तैयार माल के लिए मॉर्केटिंग की कुछ व्यवस्था कर दे तो वह इससे भी बेहतर कार्य कर सकती हैं। साथ उनकी सरकार से मांग है कि यदि उन्हे सरकार डिब्बे तैयार करने के लिए मशीन खरीदने के लिए कम ब्याजदर पर ऋण मुहैया करवाए तो उनका समूह जहां अच्छी गुणवता वाले मिठाई के डिब्बे तैयार कर पाएगा तो वहीं बाजार में भी उनके तैयार माल की डिमांड बढऩे के साथ-साथ आमदन में भी बढौतरी होगी।
क्या कहते हैं अधिकारी:
इस संबंध में खंड विकास अधिकारी पांवटा साहिब श्री सतपाल सिंह राणा का कहना है कि पांवटा विकास खंड में वर्ष 2012-13 के दौरान स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत कुल 138 एेसे महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है। जिसमें से 20 समूहों को बैंकों से जोडकर लगभग 72 लाख रुपये का ऋण विभिन्न गतिविधियों को चलाने के लिए मुहैया करवाया गया है। जबकि 10 समूहों को अपनी छोटी मोटी गतिविधियों को चलाने के लिए दस-दस हजार रुपये का रिवोलविंग फंड भी मुहैया करवाया है। साथ ही जानकारी दी कि स्वयं सहायता समूहों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर भी लगाए जाते हैं जिसके माध्यम से समूूहों को बचत करना, कैश बुक मैंटेन करना, इंटरलोनिंग इत्यादि की जानकारी दी जाती है। साथ ही गरीब परिवारों से संबंध रखने वाली महिलाआें व युवतियों को यूको आरसेटी के माध्यम से भी स्वरोजगार से जुडे विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है।
(साभार: हिमाचल दस्तक 21 अक्तूबर, आपका फैसला, 20 अक्तूबर, हिमाचल दिस वीक 9 नवम्बर, हिंदुस्तान टाईम्स 25 नवम्बर तथा हिमप्रस्थ अंक नवम्बर, 2013 में प्रकाशित)