Friday, 26 April 2013

तम्बाकू सेवन से नष्ट हो रही लाखों जिंदगियां

आज के इस प्रगतिशील दौर में हमारे आसपास विशेषकर युवा पीढ़ी में नशे के तौर पर तम्बाकू सेवन का इस्तेमाल तेजी से बढा है। इसके सेवन के चलतेे जहां हमारी यह नौजवान पीढ़ी मानसिक, सामाजिक व आर्थिक तौर पर कमजोर बन रही है तो वहीें इसके लगातार सेवन से व्यक्ति अनेक प्रकार के रोगों से भी ग्रस्त होता जा रहा है। तम्बाकू का सेवन चाहे धूम्रपान के नाते बीडी, सिगरेट इत्यादि के तौर पर किया जाए या फिर धूम्ररहित तम्बाकू उत्पाद जैसे गुटखा, खैनी, पान इत्यादि। इन सबके इस्तेमाल के कारण जहां कैंसर, दमा, हृदय रोग, खांसी तथा गैंगरीन जैसे कई जानलेवा रोग पैदा होते हैं, तो वहीं तम्बाकू उत्पादों के धूम्रपान से फैलने वाले धुंए से अप्रत्यक्ष रुप से गर्भवती महिलायें, बच्चे व धूम्रपान न करने वाले लोग भी इन भयानक रोगों की चपेट में आ जाते हैं।
ऐसे में यदि वैश्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण (गेटस)2009-10 की रिपोर्ट का विश्लेषण करें तो आज देश की लगभग 35 प्रतिशत वयस्क आबादी किसी न किसी प्रकार से तम्बाकू का उपयोग करती है। उनमें से 21 प्रतिशत वयस्क धूम्ररहित तम्बाकू का उपयोग करते हैं, 9 प्रतिशत धूम्रपान तथा 5 प्रतिशत वयस्क धूम्रपान व धूम्ररहित दोनों का उपयोग करते हैं। इस प्रतिशतता के आघार पर देश में 274.9 मिलियन लोग धूम्रपान करते हैं, जिसमें से 163.7 मिलियन धूम्ररहित तम्बाकू, 68.9 मिलियन धूम्रपान तथा 42.3 मिलियन धूम्रपान व धूम्ररहित दोनों प्रकार के तम्बाकू का उपयोग करते हैं। यदि ंिलंग के आधार देखें तो 48 प्रतिशत पुरुष व 20 प्रतिशत महिलाएं तम्बाकू का इस्तेमाल करती है। जबकि 24 प्रतिशत पुरुष व 3 प्रतिशत महिलायें धूम्रपान करती है। धूम्ररहित तम्बाकू पदार्थों का प्रचलन पुरुषों में 33 प्रतिशत व महिलाओं में 18 प्रतिशत है। यह सर्वेक्षण देश के 29 राज्यों व 2 केन्द्र शासित प्रदेशों चण्डीगढ व पुडुचेरी में करवाया गया है। इस सर्वेक्षण के अनुसार देश में तम्बाकू का उपयोग करने वालों में से यदि धूम्ररहित पदार्थो के उपयोग करने वालों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि 12 प्रतिशत खैनी, 8 प्रतिशत गुटखा, 6 प्रतिशत पान तथा 5 प्रतिशत मुखिक तम्बाकू का इस्तेमाल करते है, जबकि धम्रपान करने वालों में से 9 प्रतिशत बीडी, 6 प्रतिशत सिगरेट व 1 प्रतिशत लोग हुक्के का इस्तेमाल करते हैं।
एक अन्य जानकारी के अनुसार देश में प्रतिवर्ष 8-9 लाख लोगों की मृत्यु तम्बाकू के इस्तेमाल के कारण होती है। प्रत्येक आठ सेकण्ड में एक व्यक्ति तम्बाकू के कारण मौत के मुंह में चला जाता है। ऐसे में तम्बाकू सेवन के कारण जहां दमा, सांस की समस्या, मुंह व फेफड़ों का कैंसर इत्यादि बिमारीयां होती है, तो वहीं इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों को आर्थिक तौर पर भी नुकसान उठाना पड़ता हैं। गेट्स सर्वेक्षण के अनुसार ही देश में सिगरेट पीने वाला एक वयस्क औसतन 399 रूपये प्रतिमाह सिगरेट पर और बीडी पीने वाला वयस्क औसतन 93 रूपये प्रतिमाह बीडी पर खर्च करता है। इससे पता चलता है कि धूम्रपान करने वाला न केवल स्वास्थ्य के तौर पर कमजोर बनता है बल्कि आर्थिक तौर पर भी उसे नुक्सान पहुंचाता है। देश में धूम्रपान के लिए तम्बाकू उत्पादों के बढ़ते इस्तेमाल तथा आम लोगों को जागरूक करने के लिये विभिन्न स्तरों मसलन स्कूल, महिला मण्डल, युवा मण्डल, सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक स्थानों आदि पर सरकार व विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा समय-2 पर जागरूकता अभियान भी चलाये जाते हैं। इन जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को तम्बाकू सेवन से होने वाले नुक्सान तथा आसपास पर पडऩे वाले प्रभावों से भी जागरूक किया जाता है।
कानूनी तौर पर इस सामाजिक बुराई से लडऩे के लिये सिगरेट एण्ड अदर टोबेको प्रोडक्ट एक्ट (सीओटीपीए-2003) को लागू किया गया है। इस कानून के तहत नाबालिगों को और नाबालिगों द्धारा तम्बाकू उत्पाद बेचने तथा किसी शैक्षिक संस्था के 100 गज के दायरे में किसी भी तरह के तंबाकू उत्पाद बेचने पर प्रतिबंध है। साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने व सभी प्रकार के तंबाकू उत्पादों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विज्ञापनों पर प्रतिबंध है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए Óहिमाचल प्रदेश धूम्रपान प्रतिषेध और अधूम्रसेवी स्वास्थ्य संरक्षण अधिनियम-1997 को लागू किया है। इसके तहत सभागारों, अस्पताल परिसरों, मनोरंजन केन्द्रों, सार्वजनिक कार्यालयों, न्यायालय परिसरों, शिक्षण संस्थानों, पुस्तकालयों तथा सार्वजनिक सेवा वाहनों में धूम्रपान निषेध किया गया है। साथ ही मादक द्रव्य व नशीले पदार्थ अधिनियम-1985 के तहत भांग, अफीम, चरस आदि का नशा करते पाये जाने व नशे के प्रयोग में आने वाली आपतिजनक वस्तुओं के साथ पकडे जाने पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। जिसमें 6 माह से 20 वर्ष तक की कैद व 10 हजार से 2 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
इसलिए हमें इस सामाजिक बुराई से बचना चाहिए तथा इसका सेवन करने वालों विशेषकर अपने आस पडोस में यह जागरुकता फैलाने की आवश्यकता है कि तम्बाकू सेवन के कारण जहां हम अपनी जिन्दगी को तबाह कर रहे हैं तो वहीं दूसरों के लिए समस्या भी खडी करते हैं। ऐसे में हमें इस सामाजिक बुराई से लडने के लिए सबसे पहले शुरुआत अपने आप व अपने परिवार से करनी होगी ताकि कल कोई भी व्यक्ति तम्बाकू सेवन से मौत का शिकार न बन सके। क्या आप तम्बाकू सेवन छोड रहे है?

(साभार: आपका फैसला, 27 जुलाई, 2011 को संपादीय पृष्ठ में प्रकाशित)